सरल सम्वाद
![Leaves Shadow](https://static.wixstatic.com/media/11062b_6f0a63462d434a3e9edc1e06762a1fb4~mv2.jpg/v1/fill/w_113,h_75,al_c,q_80,usm_0.66_1.00_0.01,blur_2,enc_auto/11062b_6f0a63462d434a3e9edc1e06762a1fb4~mv2.jpg)
चैतन्य युक्त प्राणी और यंत्र के बीच आत्मा (conscious) का ही मुख्य अंतर है | जिस प्रकार 3 गुणों से सभी पारस्परिक संबंध का वर्णन किया जा सकता है उसी प्रकार यंत्रों का वर्णन और गतिविधि 3 गुणों में समावेश है | तो प्राणी के स्थूल शरीर इंद्रियों और मस्तिष्क के संबंधों को यंत्र के द्वारा भी निर्मित किया जा सकता है उदाहरण के तौर पर आंखों की गतिविधि कैमरा के समान है ,कानों की गतिविधि माइक्रोफोन के समान है ,शीत गर्मी का नाप (वातावरण का स्पर्श) थर्मामीटर के समान है, मस्तिष्क की गतिविधियां कंप्यूटर के प्रोसेसर और मेमोरी के समान हैं | इस प्रकार प्राणी के भौतिक जगत के सभी संबंधों को एक यंत्र के रूप में (रोबोट) निर्मित किया जा सकता है | दोनों (प्राणी और यंत्र) के मध्य केवल एक भेद है - भावों की अनुभूति ,जो यंत्रों में नहीं होती है और चैतन्य युक्त प्राणी में आत्मा के द्वारा भावों की अनुभूति होती है |